Ragi Flour Diabetes: डायबिटीज में राहत पाने के लिए रागी और जौ की रोटी खाएं, शुगर रहेगा कंट्रोल

Ragi Flour Diabetes डायबिटीज में राहत पाने के लिए रागी और जौ की रोटी खाएं, शुगर रहेगा कंट्रोल
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ठंड का मौसम आते ही हम सभी की पसंदीदा चीजों का स्वाद बदलने लगता है। अक्सर इस मौसम में हमारे शरीर की पोषण की ज़रूरतें भी बदल जाती हैं।

ऐसे में डायबिटीज़ के मरीजों के लिए आहार का सही चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। गेहूं के आटे की जगह जौ और रागी के आटे को शामिल करना न केवल सेहत के लिए लाभकारी है, बल्कि यह ब्लड शुगर को भी नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है।

आइए जानते हैं कि रागी और जौ का आटा कैसे डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

रागी का पौष्टिक मूल्य

रागी (Finger Millet) एक अत्यधिक पोषक तत्वों से भरपूर अनाज है। इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, और विटामिन B की अच्छी मात्रा होती है। खासकर, रागी का उच्च फाइबर कंटेंट डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है।

यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है और लंबे समय तक भूख को भी कंट्रोल करता है, जिससे ओवरईटिंग और ब्लड शुगर स्पाइक से बचा जा सकता है।

जौ का आटा

जौ (Barley) भी एक बेहतरीन विकल्प है, जो शरीर में ग्लूकोज़ के अवशोषण को धीमा करता है, और इससे ब्लड शुगर का स्तर स्थिर रहता है।

जौ में बीटा-ग्लूकेन नामक एक प्रकार का घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है और ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है।

रागी और जौ के फायदे

  • ब्लड शुगर नियंत्रण: रागी और जौ दोनों ही धीरे-धीरे पचने वाले कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होते हैं, जिससे ब्लड शुगर में अचानक वृद्धि नहीं होती। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए आदर्श होता है।
  • फाइबर का स्रोत: इन अनाजों में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
  • वजन घटाने में मदद: रागी और जौ में मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा रखता है, जिससे अधिक खाने से बचा जा सकता है और वजन नियंत्रित रहता है।
  • हृदय स्वास्थ्य: इन अनाजों में पाए जाने वाले मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, जो डायबिटीज के साथ हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करते हैं।

रागी और जौ की रोटी कैसे बनाएं?

रागी की रोटी:

  • सामग्री: 1 कप रागी का आटा, 1/4 कप गेहूं का आटा, 1/2 चम्मच नमक, पानी (आवश्यकतानुसार)
  • विधि:
    1. रागी और गेहूं के आटे को एक बर्तन में छान लें।
    2. इसमें नमक डालकर मिलाएं और धीरे-धीरे पानी डालते हुए आटा गूंथ लें।
    3. आटे को 10-15 मिनट तक ढककर रखें।
    4. अब आटे से छोटी-छोटी लोइयां बना लें और बेलन से बेलें।
    5. तवा गर्म करें और रोटी को दोनों तरफ से सेंक लें।

जौ की रोटी:

  • सामग्री: 1 कप जौ का आटा, 1/4 कप गेहूं का आटा, 1/2 चम्मच नमक, पानी (आवश्यकतानुसार)
  • विधि:
    1. जौ और गेहूं के आटे को एक बर्तन में छान लें।
    2. नमक डालकर मिश्रण तैयार करें और पानी डालते हुए गूंथ लें।
    3. आटे को 10-15 मिनट के लिए ढककर रखें।
    4. लोइयां बनाकर रोटी बेलें।
    5. तवे पर रोटी को अच्छे से सेंक लें।

रागी और जौ को आहार में कैसे शामिल करें?

रागी और जौ का आटा सिर्फ रोटी बनाने के लिए नहीं, बल्कि इसे कई अन्य प्रकार से भी आहार में शामिल किया जा सकता है:

  • रागी दलिया: रागी का दलिया बनाकर नाश्ते में खा सकते हैं। यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है।
  • जौ का सूप: जौ का सूप बनाकर इसे हल्के खाने के रूप में खा सकते हैं। यह पेट को हल्का रखता है और पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
  • जौ की खिचड़ी: जौ को दाल के साथ मिलाकर खिचड़ी बनाई जा सकती है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए एक अच्छा और स्वादिष्ट विकल्प है।

निष्कर्ष

रागी और जौ का आटा डायबिटीज़ के मरीजों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, खासकर ठंड के मौसम में। इन अनाजों को अपने आहार में शामिल करने से ब्लड शुगर को नियंत्रित रखा जा सकता है, साथ ही यह शरीर को पोषण भी प्रदान करते हैं।

यदि आप भी डायबिटीज से जूझ रहे हैं तो गेहूं की जगह रागी और जौ के आटे का सेवन करना आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।

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